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मिशन शिक्षण संवाद की अवधारणा

मिशन शिक्षण संवाद क्या?

मिशन शिक्षण संवाद परिवार हम सभी शिक्षकों की स्वैच्छिक स्वयंसेवी वैचारिक पहल है, जो स्व-अनुशासित, बिना किसी पद, पॉवर, प्रतिष्ठा एवं आपसी भेदभाव के एक-दूसरे के सहयोग और सम्मान के साथ, परिवार के रूप में शिक्षा के उत्थान, शिक्षक के सम्मान एवं मानवता के कल्याण के लिए प्रेम, प्रोत्साहन, विश्वास एवं सकारात्मक विचारों की शक्ति के साथ सतत कार्य करते हुए शिक्षा एवं संस्कार के आधार को मेहनत एवं ईमानदारी से मजबूती प्रदान करना है। जिससे हम सभी शिक्षक सामाजिक सभ्यता को वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल सम्पादित कर एवं अपने कर्तव्य एवं दायित्वों को पूरा करते हुए, मानवता को स्वस्थ, सुरक्षित, सुखी, समृद्ध एवं सम्मानित बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर सकें।

Why Shikshan Samwad 4P

01
परिवेश
हम सभी का यथासम्भव प्रयास होगा कि विद्यालय और उसके आस-पास के परिवेश को आकर्षक एवं सकारात्मक ऊर्जा का केन्द्र बनाने के लिए आपसी सहयोग और जनसहयोग से सदैव प्रयासरत रहेंगे। मिशन शिक्षण संवाद हमेशा ऐसे नागरिकों एवं शिक्षकों का सहयोग एवं सम्मान करेगा। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच, मेहनत और ईमानदारी से अपने विद्यालय के परिवेश को अपने घर के समान सुन्दर, आकर्षक और सकारात्मक ऊर्जा का केन्द्र बनाने में कोई शंका, संकोच और नकारात्मक सोच को स्थान नहीं दिया क्योंकि विद्यालय का परिवेश शिक्षा एवं संस्कारों को भी प्रभावित करता है।
02
पढ़ाई (शिक्षण)
विद्यालय और शिक्षक की पहचान शिक्षण से है। “कुशल और परिणामदायी शिक्षण ही एक शिक्षक का आभूषण है।" इसलिए किसी भी परिस्थिति में शिक्षण को प्रथम कार्य समझते हुए शिक्षा को संस्कारों के साथ समाहित करते हुए गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सतत प्रयासरत रहेंगे क्योंकि "शिक्षण ही एक शिक्षक का अस्तित्व होता है।" इसलिए शिक्षा के उत्थान के लिए किए जा रहे सार्थक, सकारात्मक, प्रेरक एवं अनुकरणीय प्रयासों को हम सब मिशन शिक्षण संवाद परिवार के सहयोगी शिक्षक आपसी सीखने-सिखाने के लिए एक-दूसरे से अवश्य साझा करेंगे जिससे ज्ञानगंगा का प्रवाह अविरल बना रहे।
03
प्रचार-प्रसार
हम सब मिलकर एक - दूसरे के सहयोग से विद्यालय की गतिविधियों, उपलब्धियों तथा सामाजिक स्तर पर किये गये सकारात्मक एवं मानवीय कार्यों को यथासम्भव सम्पूर्ण समाज के बीच प्रचार और प्रसार करेंगे जिससे समाज के बीच बन चुकी शिक्षा एवं शिक्षक की नकारात्मक छवि को, सकारात्मक और सम्मानित छवि में बदलते हुए सामाजिक विश्वास को मजबूत कर सकेंगे। इसके लिए संकोच और शर्म छोड़कर एक-दूसरे के सक्रिय सहयोगी बनने एवं सतत बने रहने का हर सम्भव प्रयास करेंगे।
04
परिवार (पॉवर)
हम सभी जानते हैं कि बिना शक्ति के कोई भी कार्य सम्पादित नहीं किया जा सकता है। इसलिए उपर्युक्त कार्यों की सफलता के लिए हम सब बिना किसी व्यक्तिगत पद- प्रतिष्ठा और लोभ-लालच की उम्मीद के समानता के सिद्धान्त को अपनाते हुए परिवार के रूप में संगठित होकर एक-दूसरे के सहयोगी बनेंगे। जो प्रत्येक विद्यालय से लेकर प्रदेशों तक टीम भावना से स्वैच्छिक स्वयंसेवी के रूप में शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी एवं मानवता के हित और सम्मान की रक्षा के लिए काम करेंगे।

Why Shikshan Samwad 4S

01
सीखना एवं सिखाना
प्रथम चरण के पूर्ण होने के बाद आज हम सभी शिक्षा के प्रथम चरण साक्षरता एवं पढ़ने-लिखने की सीमाओं को पार कर चुके हैं, इसलिए अब हम सभी का अनिवार्य कर्तव्य एवं दायित्व होना चाहिए कि शिक्षा के महत्वपूर्ण एवं अन्तिम चरण सीखने-सिखाने का अपने शिक्षण कला-कौशल के माध्यम से हर सम्भव प्रयास करें। जिससे एक सीखा हुआ शिक्षक और विद्यार्थी दूसरे शिक्षक और विद्यार्थी को सिखाने में सक्षम बन सके।
02
संस्कार
हम सभी जानते हैं कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता एवं सामाजिक सभ्यताओं का सम्पादक होता है। इसलिए हम, आप सभी शिक्षक साथियों से आशा करते हैं कि पहले तो हम सभी स्वयं कार्य, व्यवहार, विचारों से अपने जीवन को संस्कारों की पराकाष्ठा का प्रतीक बनाएँगे, इसके बाद समाज एवं विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय आदर्श बनकर संस्कार के पाठ को सिखाएँगे। यही बच्चे शिक्षा और संस्कारों से पूर्ण होकर भविष्य के गौरवशाली राष्ट्र निर्माता कहलाएँगे।
03
स्वास्थ्य
संस्कारविहीन अपूर्ण शिक्षा के बढ़ते प्रभाव ने कहीं न कहीं हम सभी के जीवन को अपनी मूल प्रकृति के प्रति असंवेदनशील बनाने का काम किया है जिससे आज हम सभी स्वस्थ जीवन के महत्वपूर्ण घटक आहार-विहार आदि प्राकृतिक जीवन शैली से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए अब हम सभी मिलकर शिक्षा और संस्कारों के सहयोग से समाज, शिक्षक और शिक्षार्थी को प्रकृति मित्र, ध्यान, योग, आयुर्वेद के माध्यम से स्वस्थ एवं शक्तिशाली राष्ट्र निर्माण का सतत प्रयास करते हुए जन-जन को जागरूक बनाएँगे।
04
सुरक्षा
सभी जीवों के बीच इकलौता विवेकशील प्राणी मनुष्य ही, मनुष्य और मनुष्यता को नष्ट करने के लिए महाविनाश के हथियारों की अतिवादी होड़ के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। इसीलिए मानवीय असुरक्षा एवं मानवता के विनाश के जितने भी कार्य है वह सभी मनुष्यों द्वारा ही तैयार किए जा रहे हैं। जबकि प्रकृति, परमात्मा और समय ने इस पृथ्वी पर सभी के भोजन, वस्त्र और आवास के पर्याप्त संसाधन एवं अवसर प्रदान किए है। इसलिए हम सभी शिक्षकों का यह कर्तव्य होना चाहिए कि इस पृथ्वी पर पुन: शिक्षा, संस्कार और स्वास्थ्य के माध्यम से मानव और मानवता को इतना शिक्षित, संस्कारित और सशक्त बनायें कि यह सम्पूर्ण पृथ्वी के मनुष्य एक परिवार बनकर बसुधैव कुटुम्बकम के स्वप्नों को साकार कर सके।

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